- सोनिक द हेजहॉग 3’ में अपनी भूमिका के बारे में जिम कैरी ने मजाक में कहा, ‘‘मुझे बहुत देर से अहसास हुआ कि मैं एक ही भुगतान के लिए दोगुना काम कर रहा था’’
- “Until I realized I was doing twice the work for the same pay,” says Jim Carrey jokingly about his role in Sonic the Hedgehog 3
- स्टेबिन बेन से लेकर अरिजीत सिंह तक: 2024 के यादगार लव एंथम देने वाले सिंगर्स पर एक नज़र!
- अक्षय कुमार और गणेश आचार्य ने "पिंटू की पप्पी" फ़िल्म का किया ट्रेलर लॉन्च!
- Sonu Sood Graced the Second Edition of Starz of India Awards 2024 & Magzine Launch
कोविड लॉकडाउन के चलते अडवान्स्ड कार्डियक जटिलताओं से पीड़ित मरीज़ों की संख्या 20 फीसदी बढ़ीः क्योंकि मरीज़ कोरोनावायरस के डर से अस्पताल जाने से बच रहे हैं।
नई दिल्लीः दुनिया कोविड-19 के खतरे से जूझ रही है, इसी बीच अन्य गैर-संचारी रोग, खासतौर पर दिल की बीमारियां लोगों के स्वास्थ्य पर बोझ बनती जा रही हैं।
कोविड-19 महामारी की शुरूआत के बाद से दिल की बीमारियों के मरीज़ अपनी नियमित जांच को टाल रहे हैं और अस्पताल जाने से बच रहे हैं। इस सब कारणों के चलते लॉकडाउन के दौरान हार्ट अटैक के मामले बढ़े हैं। व्यायाम की कमी, तंबाकू एवं शराब का सेवन, डॉक्टर से संपर्क की कमी और खुद इलाज की कोशिश इसके मुख्य कारण हैं।
डॉ मुकेश गोयल, सीनियर कन्सलटेन्ट, कार्डियो-थोरेसिक एण्ड वैस्कुलर सर्जरी, इन्द्रप्रस्थ अपोलो होस्पिटल्स ने कहा, ‘‘हालांकि अस्पताल की एमरजेंसी युनिट में हार्ट अटैक के मामले कम आ रहे हैं, किंतु घर पर ही कार्डियक अरेस्ट के कारण होने वाली मौतों की संख्या बढ़ी है, क्योंकि लोग कोरोनावायरस के डर से अपना इलाज टाल रहे हैं। पिछले सालों के विपरीत, इस साल, दिल की बीमारियों के इलाज के लिए आने वाले मरीज़ों की संख्या कम हुई है, क्योंकि लोग अपनी नियमित जांच और अन्य ज़रूरी इलाज से बच रहे हैं।’’
हाल ही में फरीदाबाद से एक 72 वर्षीय महिला गंभीर हार्टअटैक के मामले में अस्पताल पहुंची, जो पिछले 12 घण्टे से सीने में ज़बरदस्त जलन की अनदेखी कर रही थी। कारोना के डर से वे अस्पताल आने से बचती रहीं। कुछ ही घण्टों में उनकी हालत बिगड़ गई और रात में परेशानी बहुत ज़्यादा बढ़ने पर वे एक स्थानीय डॉक्टर के पास पहुंची, जिन्होंने उन्हें इन्द्रप्रस्थ अपोलो होस्पिटल्स भेज दिया।
20 जून को उन्हें कार्डियोजेनिक शॉक की स्थिति में अपोलो में भर्ती किया गया और जांच करने पर पता चला कि वह गंभीर हार्ट अटैक से पीड़ित थीं, जिसके चलते हार्ट में दोनों चैम्बर्स को अलग करने वाली दीवार फट गई। इससे लंग कंजेशन हो गया, यूरीन आउटपुट कम होने से किडनी फेलियर का कारण बन गया।
तीन दिन तक उन्हें कार्डियक सपोर्ट पर रखा गया, जिसके बाद बायपास सर्जरी कर इलाज किया गया। सर्जरी पांच घण्टे तक चली। अगर मरीज़ को परेशानी होते ही तुरंत अस्पताल लाया जाता, तो उनकी परेशानी इतनी नहीं बढ़ती और इतनी जटिल सर्जरी की नौबत नहीं आती।
एक्यूट हार्ट अटेक के मामलों में तकरीबन 3 फीसदी मरीज़ों के हार्ट की दीवार फट जाती है (वीएसआर- वेंट्रीकुलर सेप्टम रप्चर), आमतौर पर निदान और इलाज में देरी के कारण ऐसा होता है। ऐसे मामलों में अगर सर्जरी समय पर न की जाए तो मरीज़ की मौत की संभावना बहुत अधिक बढ़ जाती है। ऐसे ज़्यादातर मामलों में मरीज़ को आर्टीफिशियल हार्ट इम्प्लान्ट भी कराना पड़ सकता है।
इसी तरह के एक अन्य मामले में, डॉ मुकेशगोयल, सीनियर कार्डियो थोरेसिक सर्जन एवं डॉ राजीव कुमार राजपूत, सीनियर कार्डियोलोजी, इन्द्रप्रस्थ अपोलो होस्पिटल्स के नेतृत्व में डॉक्टरों की एक टीम ने 59 वर्षीय महिला की मुश्किल सफल सर्जरी की। महिला लेफ्ट वेंट्रीकुलर एन्यूरिज़्म से पीड़ित थी- यह एक असामान्य बैलून जैसी सूजन होती है, जो तकरीबन 1 से 2 फीसदी मरीज़ों में पाई जाती है, जो इसकी वजह से मेजर हार्ट अटैक का शिकार हो सकते हैं। महिला में पिछले 6 महीने से लक्षण दिख रहे थे, किंतु वह कोविड के डर से इलाज टाल रही थी। वे एक सीपीआर सरवाईवर होने के साथ-साथ कई अन्य बीमारियों से पीड़ित थी जैसे अस्थमा, हाइपरटेंशन और उनके हार्ट फंक्शन्स भी बहुत कम थे।
हालांकि कोविड-19 बेहद संक्रामक इन्फेक्शन है, दुनिया भर में इसके कारण मृत्यु दर सिर्फ 2 फीसदी है और वो भी आरटी-पीसीअर या रैपिड एंटीजन टेस्ट की पुष्टि वाले मामलों में। अगरहम सेरो सर्वे के परिणामों पर ध्यान दें तो मृत्युर्द सिर्फ 0.15 फीसदी हो सकती है। जबकि दिल की बीमारियों के कारण मृत्यु दर 30 फीसदी से भी अधिक है। ऐसे में दिल की बीमारी के लक्षणों की अनदेखी करना या इलाज में देरी करना जानलेवा हो सकता है। इसलिए मरीज़ों को सलाह दी जाती है कि कोविड के डर से अपनी दिल की बीमारी की अनदेखी न करें और लक्षण दिखते ही तुरंत डाॅक्टर की सलाह लें।